बैरागढ़: किसान ने शुरू की अश्वगंधा की खेती, होगा लागत से कई गुना ज्यादा लाभ, बीज, जड़, तना, पत्ती सब बिकता है।

सुरेन्द्र सिंह ठाकुर 9685280980

बैरागढ़– एक तरफ जहां पारंपरिक खेती कर रहे किसान लगातार बढ़ रही लागत और घट रही आमदनी से परेशान हैं तो वहीं खजूरी सड़क के रहने वाले किसान गोविंद सिंह मीना अब पारंपरिक खेती को छोड़ कर औषधीय खेती कर कम लागत में कई गुना ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। किसान गोविंद सिंह मीना ने बताया कि वह पेशे से गवर्नमेंट टीचर हैं लेकिन किसान परिवार से होने के कारण उन्हें खेती किसानी का भी शोक है इसीलिए उन्होंने आधा एकड़ जमीन खरीदी है और वह उसी जमीन में अश्वगंधा ओषधि की खेती कर रहे हैं।

किसान गोविंद सिंह मीणा ने बताया कि अश्वगंधा कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली औषधीय फसल जिसकी खेती कर किसान लागत से तीन गुना अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। मीना ने खरीफ की फसल के साथ ही अश्वगंधा की खेती की थी जिसमें अभी बीज आना शुरू हो गए हैं और नवम्बर के अंत तक फसल पक कर तैयार हो जाएंगी। अश्वगंधा की खास बात यह है कि इसका न सिर्फ बीज बिकता है वल्कि पत्ती और जड़ भी बिकती है कुल मिलाकर यह एक औषधीय पौधा है और यह पूरा पौधा ही औषधीय गुणों से भरा हुआ है।

उन्होंने बताया कि बारिश के समय मे अश्वगंधा की खेती करने के लिए खेत का ढालू होना जरूरी है जिसमें पानी न रुक पाए अगर खेत मे पानी रुकता है तो फसल को नुकसान हो सकता है। साथ ही बीज की रोपाई से पूर्व मिट्टी को रोटरवेटर से मिट्टी को पतला कर जमीन तैयार कर लेनी चाहिए जिसके बाद प्याज के रोप की तरह ही अश्वगंधा का रोप सिंच कर तैयार किया जाता है। इस फसल में अन्य फसलों की अपेक्षा प्राकृतिक आपदा का खतरा भी कम होता है। अश्वगंधा की बोआई के लिए जुलाई से सितंबर का महीना उपयुक्त माना जाता है। अश्वगंधा की फसल 150 से 170 दिन में तैयार हो जाती है।

किसान गाविंद सिंह मीना ने बताया कि उन्होंने नीमच से 400 रुपये किलो में बीज खरीद कर 3 किलो बीज आधा एकड़ जमीन में लगाया है। जिसके साथ मे 1 किलो डीएपी खाद डाला था।उन्होंने बताया कि अश्वगंधा की जड़ की कीमत 20 हजार से 40 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिकती है, वहीं इसका बीज 400 रुपये प्रति किलो तक बिकता है तो वहीं अश्वगंधा के पौधे के तने और पत्ते 2000 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिकते हैं। मीना ने बताया कि अभी तक 6 हजार रुपये के लगभग लागत आई है जबकि इससे कहीं गुना ज्यादा में इसकी फसल बेची जा सकती है।

अश्वगंधा को रवि की फसल के साथ भी लगाया जा सकता है जिसके लिए 3 से 4 बार पानी देकर रिलाई करनी पड़ती है। अश्वगंधा की बिक्री के लिए नीमच में मंडी होने के कारण उन्हें इसे बेचने के लिए नीमच ले जाना पड़ता है लेकिन इसमें परेशानी नहीं है क्योंकि कुछ व्यापारी यहां आकर भी फसल खरीदकर ले जाते हैं। अश्वगंधा एक औषधि है इसे बलवर्धक, स्फूर्तिदायक, स्मरणशक्ति वर्धक, तनाव रोधी, कैंसररोधी माना जाता है। इसकी जड़, पत्ती, फल और बीज औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है।

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