बैरागढ़– सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज की असीम कृपा से कुछ समय पूर्व 24 जुलाई को पूज्य वी.डी. नागपाल जी को संत निरंकारी मण्डल के प्रधान के रूप में जिम्मेदारी प्रदान की गई थी। श्री विशनदास नागपाल जी का जन्म 4 अक्टूबर, 1934 को मुजफ्फरनगर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। 1947 में देश के विभाजन के उपरांत वह अपने परिवार सहित भारत में आकर गोहाना, जिला रोहतक में रहने लगे। उन्होने पंजाब से इलेिक्ट्रकल इंजीनियर की पदवी संपादन की और पी डब्लू डी विभाग में लाइन सुपरिडेंट के पद पर सरकारी नौकरी की। पूज्य नागपाल जी को मिशन के तत्कालीन सतगुरु बाबा अवतार सिंह जी से जलंधर में ब्रम्हज्ञान की प्राप्ति हुई। 1966 में उन्हें सेवादल शिक्षक बनाया गया और दिल्ली मे आयोजित 1970 के वार्षिक निरंकारी संत समागम में उन्हें ब्रह्मज्ञान प्रदान करने की अनुमति दी गई। उसके उपरांत सन् 1971 में वह पंजाब के मुक्तसर में सेवादल संचालक बने और वहीं पर सन् 1975 में उन्हें सेवादल के क्षेत्रीय संचालक के रूप में सेवाएं प्रदान की गई।
उनके पूर्ण समर्पण एवम् भक्ति भाव को देखते हुए सतगुरु बाबा हरदेव सिंह जी ने उन्हें मार्च 1987 में उप मुख्य संचालक (प्रशासन) के रूप में सेवा प्रदान की। वर्ष 1997 में उनको भवन निर्माण एवं देखभाल के मेंबर इंचार्ज के रूप में मनोनित किया। उसके पश्चात् वर्ष 2009 से संत निरंकारी मण्डल के महासचिव के पद पर अपनी सेवाओं को निभाते रहे। वर्ष 2018 में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने उनको मंडल के उप प्रधान के रूप में सवेाएं प्रदान की। उन्हें जो भी सेवा दी गई वह उन्होने पूर्ण समर्पण एवं तन्मयता से निभाई। श्री विशन दास नागपाल जी समय समय पर आने वाले सतगुरु के आदेशानुसार निष्काम भाव से सदैव अपनी सेवाएं निभाने के लिए तत्पर रहते थे। निसंदेह उनकी सेवाएं औरों के लिए अनुकरणीय एवं प्रेरणा का स्रोत बन गई है और यह अनेक पीढ़ियों तक स्मरण की जाएगी। सोमवार दोपहर 3.30 बजे उनके नश्वर शरीर का दाह संस्कार निगम बोध घाट की सीएनजी में किया गया । अंतिम यात्रा दोपहर 3.00 बजे निरंकारी कॉलोनी, दिल्ली से आरंभ हुई । कोविड-19 के नियमों को देखते हुए अंतिम सस्ंकार का सीधा प्रसारण निरंकारी वेबसाइट पर किया गया।