बैरागढ़: बेहाल गौशाला पर फूटा ग्रामीणों का गुस्सा, बजरंगदल ने की मांग गौशालाओं में निरीक्षकों की हो नियुक्ति, मिले उचित अनुदान और सहायता।

सुरेन्द्र सिंह ठाकुर 9685280980

बैरागढ़: प्रदेश में गायों की रक्षा और रहने की उचित व्यवस्था के लिए गौशालाओं का निर्माण किया जा रहा है लेकिन फंड की कमी और प्रसाशन की अनदेखी के चलते गौशालाओं में गायों की स्थिति दयनीय होती जा रही है। सोमवार को तूमड़ा स्थित गौशाला में अव्यवस्थाओं को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा और गौशाला पर बड़ी संख्या में ग्रामीण और हिन्दू संगठन बजरंग दल के कार्यकर्ता इकट्ठे हो गए। गौशाला समिति और प्रसाशन के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया।

मामले की सूचना मिलने पर जिला प्रसाशन ने इंस्पेक्शन के लिए अधिलारी की नियुक्ति कर एक अधिकारी को मौका मुआयना के लिए भेज दिया। अधिकारी को जहां ग्रामीणों ने अपनी समस्या बताई वहीं गौशाला समिति ने भी अपनी समस्याओं और मजबूरियों से अधिकारी को अवगत कराया। जिसके बाद अधिकारी ने पंचनामा रिपोर्ट तैयार की।

मौके पर पहुंचे बजरंग दल भोपाल जिला संयोजक जीतू कटारिया ने बताया की तूमड़ा गौशाला में अव्यवस्थाएं मिली भूंसा खराब था पानी स्वच्छ नहीं था, यहां दो- तीन मवेशी मृत पाए गए, हड्डियों के कंकाल भी मिले जिसको लेकर अधिकारियों से बात की गई है। शासन द्वारा जिस तरह से गौशालाएं बनाने का संकल्प लिया गया है लेकिन इनका संयोजन और संवर्धन ठीक से नही किया जा रहा है। कई गौशालाओं का आरोप होता है कि आवश्यक अनुदान प्राप्त नहीं हो पाता है, यहां भी यही आरोप लगाया गया है इसलिए हम शासन से निवेदन करेंगे कि गौशालाओं को अधिक से अधिक संख्या में बढ़ाएं और गौ संवर्धन की ओर ध्यान दें जैविक खेती को बढ़ावा दें। और गौशालाओं में निर्माण के साथ साथ निरीक्षक अधिकारी नियुक्त किये जाएं। जो इन गौशालाओं का निरंतर निरीक्षण करें ताकि इस तरह से अव्यवस्था न फैले।

वहीं तूमड़ा सरपंच प्रतिनिधि सुंदरलाल पाटीदार का कहना है कि आवश्कता के अनुरूप न तो अनुदान प्राप्त हो रहा है और न ही सामाजिक सहयोग मिल पा रहा है जिसकी वजह से समस्या हो रही है हम समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं वही मृत गायों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि गौशाला में बुजुर्ग और जख्मी गायें आती हैं जिनकी स्थिति पहले से दयनीय होती है अभी हाल ही में कुछ बीमार गायों की मौत हुई है लेकिन वो पहले से बीमार थी गौशाला में समय समय पर डॉक्टर आकर निरीक्षण और जांच करते हैं साथ ही समिति भी अपनी तरफ से अनुदान जुटाने का प्रयास करती है लेकिन सरकारी अनुदान जरूरत से बहुत कम है जिसकी वजह से समस्या हो रही है।

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