सुरेन्द्र सिंह ठाकुर 9685280980
बैरागढ़– तूमड़ा के मंशापूर्ण माता मंदिर में चल रही सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन कथावाचीका कविता शास्त्री ने कृष्ण-रुकमणी के मिलन व उनके विवाह का प्रसंग सुनाया। साथ ही कृष्ण के गरीब मित्र सुदामा के भगवान से मिलने आने का सुंदर वर्णन किया।
कथा के अंत में कृष्ण के सशरीर दिव्यलोक पहुंचने का वर्णन भी किया। कथा में सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि सुदामा की पत्नी ने सुदामा को उनके पास जाने का आग्रह किया और कहा, श्रीकृष्ण बहुत दयावान हैं, इसलिए वे हमारी सहायता अवश्य करेंगे। सुदामा ने संकोच-भरे स्वर में कहा, श्रीकृष्ण एक पराक्रमी राजा हैं और मैं एक गरीब ब्राह्मण हूं।
मैं कैसे उनके पास जाकर सहायता मांग सकता हूं उसकी पत्नी ने तुरंत उत्तर दिया तो क्या हुआ मित्रता में किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं होता। आप उनसे अवश्य सहायता मांगें। अंततः सुदामा श्रीकृष्ण के पास जाने को राजी हो गया। उसकी पत्नी पड़ोसियों से थोड़े-से चावल मांगकर ले आई तथा सुदामा को वे चावल अपने मित्र को भेंट करने के लिए दे दिए। सुदामा द्वारका के लिए रवाना हो गये।
शास्त्री ने लोगों को जीवन के उद्धार के लिए कलयुग में हरि कीर्तन करने को कहा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को हाथ से काम, मुख से राम का जाप करना चाहिए। उन्होंने लोगों को प्रेरणा स्रोत बनने का आग्रह किया। वहीं वसुधैव कुटुम्बकम को आधार बताते हुए सम्पूर्ण विश्व को अपना परिवार मानकर चलने की बात कही। कथा वाचिका ने युवाओं को व्यसन और फैशन को छोड़कर सत्संग को अपनाने का संदेश दिया। साथ ही सुंदर भजनों की प्रस्तुति दी। कथा के दौरान पांडाल में मौजूद महिला-पुरुष व युवा भक्तिरस में डूबे नजर आए।
भागवत कथा के अंतिम दिन मंशापूर्ण माता मंदिर में हवन यज्ञ कर पूर्णाहुति दी गयी जिसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया। भंडारे में तूमड़ा और आसपास से आये सैंकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। यह मंदिर अत्यंत ही पौराणिक है और यहां आकर मान्यता मांगने वाले लोगों की मान्यता पूरी होती है।